गौरव कौशल: JEE टॉपर से बिना कोचिंग UPSC में 38वीं रैंक, IAS पद से इस्तीफा देकर सबको चौंकाया
गौरव कौशल: एक प्रेरणादायक यात्रा
भारत में सिविल सेवा परीक्षा, खासकर यूपीएससी, सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। इस परीक्षा को पास करने के लिए कई छात्र सालों तक कड़ी मेहनत करते हैं और कोचिंग पर लाखों रुपए खर्च करते हैं।
लेकिन कुछ ऐसे उदाहरण भी हैं जो बताते हैं कि सफलता का रास्ता हमेशा पारंपरिक नहीं होता। ऐसा ही एक नाम है गौरव कौशल, जिनकी कहानी कई युवाओं के लिए प्रेरणा बन सकती है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
गौरव कौशल हरियाणा के पंचकूला के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा वहीं की, जहां वे हमेशा पढ़ाई में अव्वल रहे। साइंस स्ट्रीम से 12वीं पास करने के बाद गौरव ने आईआईटी जेईई परीक्षा पास की। उनकी कड़ी मेहनत का नतीजा यह हुआ कि उन्हें पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में टॉप रैंक के साथ दाखिला मिल गया। गौरव की इस शुरुआती सफलता ने उन्हें आगे की चुनौतियों के लिए तैयार कर दिया।
यूपीएससी की तैयारी
इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही गौरव ने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने कभी किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया, बल्कि उन्होंने सेल्फ स्टडी को अपनाया। यह फैसला उन्हें कई छात्रों से अलग बनाता है, क्योंकि ज्यादातर छात्र कोचिंग पर निर्भर रहते हैं। गौरव ने अपनी पढ़ाई के लिए एक निश्चित योजना बनाई, जिससे उन्होंने व्यवस्थित तरीके से पाठ्यक्रम पूरा किया।
यूपीएससी में सफलता
साल 2012 में गौरव कौशल ने यूपीएससी परीक्षा पास की और 38वीं रैंक हासिल की। यह सफलता सिर्फ एक परीक्षा पास करने की बात नहीं थी, बल्कि यह उनकी कड़ी मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास का नतीजा थी। उन्हें आईडीईएस (भारतीय रक्षा संपदा सेवा) कैडर मिला और इसके बाद उन्हें रक्षा मंत्रालय में हिमाचल प्रदेश के सीईओ के पद पर तैनात किया गया। यह उनके लिए एक नया अध्याय था, लेकिन यह सब आसान नहीं था।
आईएएस पद से इस्तीफा
गौरव ने 11 साल तक आईएएस के पद पर काम किया, लेकिन इसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया। यह कदम सभी के लिए चौंकाने वाला था, क्योंकि उन्होंने एक युवा और सफल आईएएस अधिकारी के रूप में अपनी पहचान बनाई थी। उनका यह फैसला इस बात का प्रतीक है कि सफलता के अलग-अलग मानक हो सकते हैं, और कभी-कभी व्यक्तिगत संतुष्टि और खुशी भी प्राथमिकता होनी चाहिए।
नई राह: यूपीएससी कोचिंग
आईएएस पद से इस्तीफा देने के बाद गौरव कौशल ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए अपने अनुभव और ज्ञान का उपयोग करने का फैसला किया।
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उन्होंने ज़्यादा से ज़्यादा छात्रों तक पहुँचने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का सहारा लिया। गौरव की पत्नी नैन्सी लूम्बा, जो एक वित्त सलाहकार हैं, भी इस प्रक्रिया में उनकी मदद करती हैं। साथ में, दोनों छात्रों को सही दिशा में मार्गदर्शन करते हैं ताकि वे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें।
शिक्षा का महत्व
गौरव की यात्रा से पता चलता है कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ़ नौकरी पाना नहीं है, बल्कि ज्ञान प्राप्त करना और दूसरों को प्रेरित करना भी है। उन्होंने साबित कर दिया है कि अगर आप सही दिशा में कड़ी मेहनत करते हैं, तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उनकी कहानी यह भी बताती है कि कभी-कभी पारंपरिक रास्ते से हटना ज़रूरी होता है।
निष्कर्ष
गौरव कौशल की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उनके फ़ैसलों ने साबित कर दिया है कि सफलता का मतलब हमेशा एक निश्चित रास्ते पर चलना नहीं होता, बल्कि अपने दिल की सुनना और अपने लिए सही रास्ता चुनना भी ज़रूरी है। आज गौरव एक सक्सेस कोच के तौर पर युवाओं को उनके सपनों की ओर बढ़ने में मदद कर रहे हैं। उनकी यात्रा हमें सिखाती है कि कड़ी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास से हम कोई भी लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।