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मनीष सिसोदिया को शराब नीति केस में 17 महीने बाद मिली जमानत

मनीष सिसोदिया की जमानत 

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17 महीने की गिरफ्तारी के बाद मनीष सिसोदिया की रिहाई ने दिल्ली के राजनीतिक और कानूनी परिदृश्य में एक नया मोड़ ला दिया है। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद शुक्रवार शाम तिहाड़ जेल से बाहर निकलते ही सिसोदिया का उनके समर्थकों ने जोरदार स्वागत किया।

रिहाई इस बात का संकेत है कि दिल्ली सरकार के भीतर चल रहे विवाद और कानूनी पेचीदगियों ने अब नया मोड़ ले लिया है। जेल से बाहर आते ही सिसोदिया बारिश के बीच अपने समर्थकों के सामने खड़े हुए और एक संक्षिप्त लेकिन प्रेरक भाषण देते हुए उनके संघर्ष और समर्थन के लिए उनका आभार जताया।

दिल्ली पर काले बादल छाए रहे और बारिश ने सिसोदिया के लंबे संघर्ष का अंत कर दिया। उनकी रिहाई का खास महत्व है क्योंकि अब इस मामले में सिर्फ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही जेल में हैं, जबकि संजय सिंह को पहले ही जमानत मिल चुकी है।

सिसोदिया की रिहाई ने पार्टी के भीतर उत्साह

सिसोदिया की रिहाई ने पार्टी के भीतर उत्साह का संचार किया है और यह भी संकेत दिया है कि कानूनी और राजनीतिक संघर्ष की प्रक्रिया को नई दिशा मिल सकती है।

मनीष सिसोदिया बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के प्रति

जब सुबह मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से जमानत का आदेश मिला तो उन्होंने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। भावुक बयान में सिसोदिया ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वह बाबा साहब का कर्ज कैसे चुका पाएंगे, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि जेल से बाहर आने का श्रेय उनके समर्थन, ईश्वर के आशीर्वाद और सत्य की शक्ति को जाता है।

उन्होंने बाबा साहब अंबेडकर के सपने को भी याद किया कि संविधान विपक्षी नेताओं की रक्षा करेगा, भले ही तानाशाही सरकारें उन्हें जेल में डाल दें। सिसोदिया ने भरोसा दिलाया कि इसी संविधान की शक्ति से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी जेल से बाहर आएंगे।

मनीष सिसोदिया को शराब नीति केस में 17 महीने बाद मिली जमानत
मनीष सिसोदिया को शराब नीति केस में 17 महीने बाद मिली जमानत

इसके बाद सिसोदिया दिल्ली के सिविल लाइंस इलाके में स्थित केजरीवाल के आवास के लिए रवाना हो गए। इस बीच, गौरतलब है कि सिसोदिया को पिछले साल ही अपनी बीमार पत्नी से मिलने की इजाजत मिली थी, लेकिन उनकी आठवीं अपील पर जमानत मिलने के बाद यह स्थिति है, जो उनके लिए न्याय और संघर्ष की नई शुरुआत का संकेत दे रही है।

केजरीवाल को जमानत

मार्च में शराब नीति मामले में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी ने राजनीतिक और कानूनी हलकों में हलचल मचा दी थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जहां केजरीवाल को जमानत दे दी, वहीं केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज मामले में उन्हें जमानत नहीं मिल पाई है।

सिसोदिया की करीब 18 महीने की कैद से रिहाई 

सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की करीब 18 महीने की कैद को “न्याय का उपहास” करार दिया और ट्रायल कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट से कड़े सवाल पूछे कि सिसोदिया को “असीमित अवधि तक सलाखों के पीछे” रखकर उनके स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन क्यों नहीं किया गया।

सिसोदिया को फरवरी 2023 में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, जिसके 12 दिन बाद ईडी ने भी उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि न्यायिक प्रणाली को समय पर और निष्पक्ष सुनवाई की आवश्यकता है और यह भी संकेत दिया है कि सिसोदिया की लंबी कैद ने कानून और न्याय के प्रति गंभीर सवाल खड़ा किया है।

जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने मनीष सिसोदिया की जमानत पर फैसला देते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि संविधान द्वारा गारंटीकृत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़े मामलों में किसी नागरिक को इधर-उधर भटकने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने सिसोदिया को जमानत पाने के लिए बार-बार भटकने से रोकने की बात कही, यह संकेत देते हुए कि न्याय का पालन और अधिकारों की रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

पार्टी ने मनाया जश्न

सिसोदिया की पार्टी ने उनकी रिहाई का जश्न मनाया और इसे “सत्य की जीत” माना। राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने खुशी जताते हुए कहा कि यह पूरे देश के लिए खुशी की बात है कि दिल्ली की शिक्षा क्रांति के प्रमुख मनीष सिसोदिया को जमानत मिल गई।

उन्होंने सिसोदिया की 530 दिन की जेल की सजा को बेहद अनुचित और निराधार बताते हुए कहा कि उनका एकमात्र अपराध गरीब बच्चों के भविष्य के लिए काम करना था।

संजय सिंह ने इस फैसले को केंद्र की तानाशाही पर बड़ा झटका बताते हुए कहा कि इस दौरान सिसोदिया का जीवन और काम बर्बाद हो गया। दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने भी इसे सत्य की जीत बताते हुए इसे “सत्यमेव जयते” कहा, जो न्याय और सच्चाई की जीत का प्रतीक है।

सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया के मामले में निचली अदालतों और संघीय एजेंसियों की खिंचाई की और उनके अधिकारों की रक्षा पर गहरी चिंता जताई। कोर्ट ने सिसोदिया द्वारा सबूतों से कथित छेड़छाड़ के आरोपों पर भी टिप्पणी की और स्पष्ट किया कि अधिकांश सबूत दस्तावेजी हैं और पहले से ही जांच एजेंसियों के पास हैं।

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हालांकि, सिसोदिया की रिहाई के बावजूद, अदालत ने उन्हें कुछ शर्तों के तहत जमानत दी है, जिसमें पासपोर्ट जमा करना और हर सोमवार को जांच अधिकारी के सामने पेश होना शामिल है। साथ ही, अदालत ने उन्हें चेतावनी दी है कि अगर सबूतों से छेड़छाड़ की गई तो उन्हें फिर से जेल भेज दिया जाएगा।

इस फैसले ने न केवल सिसोदिया के मामले में न्याय की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े किए, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि उनके अधिकारों का हनन न हो और न्याय की उचित प्रक्रिया का पालन हो।

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