पाकिस्तान के पहले ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता
अरशद नदीम
अरशद नदीम की सफलता की कहानी पाकिस्तान के खेल इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ती है। अरशद ने पेरिस ओलंपिक 2024 में भाला फेंक स्पर्धा में 92.97 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीतकर न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि हासिल की, बल्कि पाकिस्तान को भी गौरवान्वित किया।
अरशद नदीम कोच सैयद हुसैन बुखारी
यह उपलब्धि उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और आत्मविश्वास का परिणाम है। कोच सैयद हुसैन बुखारी ने अरशद के बारे में अपनी पहली धारणा को याद करते हुए कहा कि वह इस बात से प्रभावित थे कि छोटी उम्र में वह अपनी कोहनी से कितनी ताकत पैदा करते हैं।
अरशद की प्रतिभा को पहचानते हुए बुखारी ने उन्हें प्रशिक्षित किया और अरशद ने जल्द ही 70 मीटर का थ्रो पार कर लिया, जिससे उनकी क्षमता की पुष्टि हुई। 2015 में 70.46 मीटर के थ्रो के बाद, अरशद ने 2016 के सैफ खेलों में 78.33 मीटर के थ्रो के साथ कांस्य पदक और 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों में 90.18 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता।
2022 में कोहनी की चोट के कारण चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, अरशद ने 2023 विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 87.82 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता।
नीरज चोपड़ा के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए, अरशद ने इसे खेल के हित में सकारात्मक बताया और अपने प्रतिद्वंद्वी के साथ अपनी दोस्ती को महत्वपूर्ण मानते हुए कहा कि वे दोनों अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश कर रहे हैं।
अरशद नदीम पिता मुहम्मद अशरफ
गौरवान्वित पिता मुहम्मद अशरफ ने कहा कि उन्होंने पूरी जिंदगी मजदूरी की है, लेकिन अपने बेटे की इस बड़ी उपलब्धि को देखकर उन्हें सबसे ज्यादा खुशी हुई। मियां चानू में एक नया, पूरी तरह से सुसज्जित घर मिलने के बाद, अशरफ के गर्व और खुशी की कोई सीमा नहीं है।
एक साधारण गांव से अंतरराष्ट्रीय मंच तक का सफर तय करने वाले अरशद की यात्रा एक प्रेरणादायक कहानी है, जो समर्पण और कड़ी मेहनत की शक्ति को उजागर करती है। अरशद नदीम की सफलता की कहानी एक प्रेरणादायक यात्रा है गांव में एक साधारण राजमिस्त्री, उनके पिता मुहम्मद अशरफ ने अपने बेटे के खेल के प्रति जुनून का समर्थन किया।
अशरफ के अनुसार, अरशद ने क्रिकेट बैट और बॉल की मांग की, लेकिन बाद में उनके दो भाइयों ने उन्हें एथलेटिक्स में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। अरशद ने गांव के स्कूल में शॉटपुट, डिस्कस थ्रो, हैमर थ्रो और लॉन्ग जंप जैसी प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया और धीरे-धीरे उनकी क्षमताएं उभरने लगीं।
अरशद नदीम की यात्रा
अरशद की यात्रा 2012 में शुरू हुई, जब उन्होंने स्कूल स्तर पर दौड़, डिस्कस थ्रो और भाला फेंक जैसी प्रतियोगिताओं में भाग लिया। उन्होंने गांव के मैदान में कोच राशिद अहमद साकी के अधीन प्रशिक्षण लिया, जिन्होंने उनकी तकनीकी क्षमताओं को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2014 में, अरशद को पंजाब यूथ फेस्टिवल में भाग लेने के लिए लाहौर भेजा गया, जहाँ उनकी प्रतिभा ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। उसके बाद, एक दोस्त की सलाह पर, अरशद ने पाकिस्तान जल और विद्युत विकास प्राधिकरण
(WAPDA) के ट्रायल में भाग लिया। हालाँकि पहले ट्रायल में अरशद का थ्रो 60 मीटर से कम था, लेकिन उन्होंने सुधार के लिए एक महीने का समय माँगा। बुखारी सर से कड़ी ट्रेनिंग के बाद अरशद को 65 मीटर थ्रो के साथ WAPDA का कॉन्ट्रैक्ट मिला।
अरशद की कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें 2015 के राष्ट्रीय खेलों में 70.46 मीटर का थ्रो और 2016 में गुवाहाटी में SAFF खेलों में 78.33 मीटर के थ्रो के साथ कांस्य पदक दिलाया।
2022 के राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने 90.18 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता, जो उनकी बढ़ती क्षमताओं का संकेत है। हालांकि कोहनी की चोट और अन्य समस्याओं ने 2022 में उनके रास्ते में बाधा डाली, लेकिन अरशद ने 2023 विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 87.82 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता। उनकी उपलब्धि बताती है कि उन्होंने कठिनाइयों के बावजूद अपना लक्ष्य हासिल किया।
अरशद और नीरज चोपड़ा
अरशद और नीरज चोपड़ा के बीच प्रतिस्पर्धा भी खेल जगत में चर्चा का विषय रही है। अरशद ने नीरज के साथ अपनी प्रतिस्पर्धा को सकारात्मक मानते हुए कहा कि यह खेल के लिए फायदेमंद है और अपनी दोस्ती को महत्वपूर्ण बताया।
दोनों ही खिलाड़ी अपने-अपने स्तर पर उत्कृष्टता की ओर अग्रसर हैं और उनकी प्रतिस्पर्धा ने खेल को नया उत्साह दिया है। अरशद की सफलता के पीछे उनके परिवार का सहयोग अहम रहा।
पिता मुहम्मद अशरफ की गर्व की भावना उनकी बातों से स्पष्ट होती है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में कड़ी मेहनत की है, लेकिन अपने बेटे की सफलता देखना उनके लिए सबसे बड़ी खुशी है। मियां चानू में नया और पूरी तरह सुसज्जित घर मिलने के बाद अशरफ के गर्व और खुशी की कोई सीमा नहीं है।
अरशद नदीम ने रचा इतिहास
पेरिस ओलंपिक में 92.97 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीतने की उनके बेटे की उपलब्धि ने न केवल व्यक्तिगत पहचान दिलाई बल्कि पूरे पाकिस्तान को गौरवान्वित किया।
एक साधारण गांव से अंतरराष्ट्रीय खेल मंच तक अरशद की यात्रा एक प्रेरणादायक कहानी है जो कड़ी मेहनत, समर्पण और आत्मविश्वास के महत्व को दर्शाती है।
उनकी सफलता ने न केवल उन्हें उज्ज्वल भविष्य दिया बल्कि पाकिस्तान की खेल प्रतिभा को वैश्विक पहचान भी दिलाई।