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विष्णु पुराण भविष्यवाणी: कलियुग के अंत तक मनुष्य के शरीर में आएंगे ये बड़े बदलाव

विष्णु पुराण भविष्यवाणी: कलियुग के अंत तक मनुष्य के शरीर में आएंगे ये बड़े बदलाव

विष्णु पुराण हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है, जिसमें विभिन्न युगों का वर्णन किया गया है। इसमें कलियुग के अंत की भविष्यवाणियां विशेष रूप से बहुत रोचक और विचारोत्तेजक हैं। विष्णु पुराण के अनुसार, कलियुग का समय अत्यधिक परिवर्तनशील होगा, जिसमें मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप में कई बड़े परिवर्तन होंगे। इन परिवर्तनों के बारे में विस्तार से बताया गया है, जिसका उद्देश्य मानवता को एक नई दिशा में प्रेरित करना है। कलियुग के अंत में भगवान कल्कि अवतार लेंगे और एक महान विनाश के बाद धरती पर धर्म की पुनः स्थापना होगी।

1. कलियुग की लंबी अवधि और उसका प्रभाव

विष्णु पुराण के अनुसार, कलियुग की कुल अवधि 4,32,000 वर्ष बताई गई है और अब तक इसका पहला चरण पूरा हो चुका है, जिसमें लगभग 5,000 वर्ष बीत चुके हैं। इस समय में समाज में अनैतिकता और अपराधों का प्रकोप बढ़ गया है। हालांकि, पुराण में यह भी कहा गया है कि जैसे-जैसे कलियुग अपने चरम की ओर बढ़ेगा, मनुष्य में शारीरिक और मानसिक रूप से और भी अधिक परिवर्तन होंगे। इन परिवर्तनों का मुख्य कारण समाज में धर्म और सत्य का लुप्त होना बताया जाता है।

2. आयु में कमी

विष्णु पुराण में की गई भविष्यवाणी के अनुसार, कलियुग के अंत तक मनुष्य की औसत आयु मात्र 12 से 20 वर्ष रह जाएगी। यह परिवर्तन बहुत ही चौंकाने वाला है, क्योंकि त्रेता युग और द्वापर युग में मनुष्य की आयु 100 से 150 वर्ष थी। महाभारत में भीष्म पितामह और श्री कृष्ण जैसे महापुरुष 100 वर्ष से अधिक जीवित रहे थे। यह भविष्यवाणी इस बात की ओर संकेत करती है कि समय के साथ मनुष्य की शारीरिक क्षमता में भारी कमी आएगी और जीवन स्तर में बहुत अधिक परिवर्तन आएगा।

3. लंबाई में कमी

विष्णु पुराण के अनुसार, कलियुग के अंत तक मनुष्य की लंबाई भी बहुत कम हो जाएगी। पहले के युगों जैसे त्रेता युग और द्वापर युग में मनुष्य की औसत लंबाई 7 फीट तक होती थी। लेकिन कलियुग में यह घटकर 5 से 6 फीट रह गई है। विष्णु पुराण की भविष्यवाणी है कि अंत में मनुष्य की लंबाई मात्र 4 इंच रह जाएगी। यह बदलाव शारीरिक कमज़ोरी और पौराणिक युगों से दूरी का प्रतीक है।

4. आँखों में बदलाव

विष्णु पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार, कलियुग के अंत तक मनुष्य की आँखों में भी बहुत से बदलाव आएँगे। आँखों की क्षमता बहुत कम हो जाएगी और उनकी दृष्टि कमज़ोर हो जाएगी। पुराण के अनुसार, मनुष्य अपनी उम्र से पहले दिखाई देने वाली चीज़ों को भी नहीं देख पाएँगे। इतना ही नहीं, वे अपने आस-पास खड़े दूसरे मनुष्यों को भी ठीक से नहीं देख पाएँगे। यह दर्शाता है कि समय के साथ हमारी संवेदनशीलता और शारीरिक कार्यक्षमता भी कम होती जाएगी।

5. चर्म रोगों का प्रकोप

विष्णु पुराण के अनुसार कलियुग के अंत तक मनुष्य भयंकर चर्म रोगों से परेशान हो जाएगा। पहले के युगों में मनुष्य की त्वचा प्राकृतिक रूप से सुंदर और आकर्षक होती थी, लेकिन कलियुग में यह चमक खत्म हो जाएगी। मनुष्य चर्म रोगों से पीड़ित हो जाएगा, जिससे उसके चेहरे की सुंदरता और आकर्षण खत्म हो जाएगा। यह भविष्यवाणी दर्शाती है कि जैसे-जैसे धर्म और सत्य लुप्त होते जाएंगे, शारीरिक रोगों का प्रकोप बढ़ता जाएगा।

6. मांसपेशियों में सिकुड़न

त्रेता युग और द्वापर युग में मांसपेशियां बहुत मजबूत थीं। ऐसे कई ऐतिहासिक उदाहरण हैं, जिनमें बाहुबलियों ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया और बिना हथियार के अपने दुश्मनों को हराया। लेकिन कलियुग में शारीरिक क्षमता में भारी कमी आई है। विष्णु पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार कलियुग के अंत तक मनुष्य की मांसपेशियां पहले से ही सिकुड़ने लगेंगी और वे थोड़े से प्रयास के बाद थक जाएंगे। इससे यह स्पष्ट होता है कि शारीरिक श्रम और शक्ति में कमी आएगी।

7. समग्र परिवर्तन

विष्णु पुराण की भविष्यवाणियों के अनुसार, कलियुग के अंत तक मनुष्य की शारीरिक संरचना और जीवनशैली में कई परिवर्तन होंगे। ये परिवर्तन समाज में अराजकता और असामाजिक तत्वों की वृद्धि के कारण होंगे। हालांकि, यह भी माना जाता है कि भगवान कल्कि के अवतार के बाद महाविनाश होगा और फिर धर्म की पुनर्स्थापना होगी। इस समय के बाद मनुष्य को एक नई दिशा और उद्देश्य मिलेगा और धरती पर एक नए युग की शुरुआत होगी।

निष्कर्ष

विष्णु पुराण की भविष्यवाणियां न केवल कलियुग के अंत के बारे में विस्तृत जानकारी देती हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि समय के साथ मनुष्य के शारीरिक और मानसिक विकास में कितने परिवर्तन होंगे। हालांकि, इन भविष्यवाणियों को केवल एक आंतरिक चेतावनी के रूप में ही समझा जा सकता है, जो मानवता को अपने मार्ग पर पुनः चलने के लिए प्रेरित करती है। यदि हम अपना जीवन धार्मिक और नैतिक दृष्टिकोण से जिएं, तो शायद हम इन परिवर्तनों से बच सकते हैं और बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।

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